कभी आपने सोचा है कि जब लोग किसी का नाम या पद भूल जाते हैं, तो वे क्या याद रखते हैं? असली जवाब है – आपने उनके साथ कैसा व्यवहार किया। कहानी क...
कभी आपने सोचा है कि जब लोग किसी का नाम या पद भूल जाते हैं, तो वे क्या याद रखते हैं? असली जवाब है – आपने उनके साथ कैसा व्यवहार किया।
कहानी कुछ ऐसी है:
एक कंपनी में, एक वरिष्ठ मैनेजर था – रवि। रवि के पास पद और अधिकार तो बहुत थे, लेकिन कर्मचारियों के साथ उसका व्यवहार अक्सर कठोर और औपचारिक रहता। वह कर्मचारियों की मदद कम करता और हमेशा परिणाम पर ध्यान देता।
इसके विपरीत, एक जूनियर टीम लीडर, सीमा, अपने टीम के सदस्यों के लिए हमेशा मौजूद रहती। वह उनकी मुश्किलें सुनती, उनकी समस्याओं का समाधान खोजती और हर छोटे योगदान की सराहना करती।
कुछ सालों बाद, जब रवि रिटायर हुआ, तो उसके बारे में कर्मचारी ज्यादा कुछ नहीं याद रख पाए। लोग सिर्फ यही कह रहे थे कि “वो हमेशा औपचारिक और दूर रहते थे।”
सीमा की बात करें, तो लोग आज भी उसके बारे में याद करते हैं। वे कहते हैं, “सीमा ने हमें महसूस कराया कि हमारी मेहनत मायने रखती है। वह हमेशा हमारी मदद करती थी और हमें प्रेरित करती थी।”
सीख:
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सच्चा नेतृत्व पद या टाइटल से नहीं, व्यवहार और समझदारी से आता है।
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कर्मचारी या टीम के साथ सम्मान और सहयोग का व्यवहार आपको यादगार बनाता है।
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छोटे-छोटे काम और सच्ची सराहना बड़ी छाप छोड़ते हैं।
निष्कर्ष:
असली नेता वह है जिसे लोग उसकी डिग्री या पद के कारण नहीं, बल्कि उसके व्यवहार और समर्थन के कारण याद रखें। इसलिए अपने नेतृत्व और संबंधों में सच्चाई और सम्मान को हमेशा प्राथमिकता दें।