दोस्ती जीवन का एक अनमोल हिस्सा है। सच्चे दोस्त न केवल खुशियों में साथ होते हैं, बल्कि मुश्किल समय में भी आपका सहारा बनते हैं। लेकिन कभी-कभी ...
दोस्ती जीवन का एक अनमोल हिस्सा है। सच्चे दोस्त न केवल खुशियों में साथ होते हैं, बल्कि मुश्किल समय में भी आपका सहारा बनते हैं। लेकिन कभी-कभी इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी – ईर्ष्या – दोस्ती को भी खतरे में डाल देती है।
कहानी कुछ इस तरह है:
एक समय की बात है, दो घनिष्ठ मित्र, अर्जुन और रोहन, एक छोटे से गाँव में रहते थे। दोनों हमेशा साथ रहते, खेलते और एक-दूसरे की मदद करते।
एक दिन गाँव में मेले का आयोजन हुआ। मेले में प्रतियोगिता रखी गई, सबसे सुंदर चित्र बनाने की। अर्जुन ने खूब मेहनत की और उसका चित्र जीत गया। रोहन ने भी अच्छा चित्र बनाया था, लेकिन वह हार गया।
शुरुआत में रोहन खुश था कि उसका दोस्त जीत गया, लेकिन धीरे-धीरे उसने महसूस किया कि उसके भीतर ईर्ष्या पैदा हो रही है। उसने सोचा, “क्यों अर्जुन को ही हमेशा सफलता मिलती है?”
ईर्ष्या ने रोहन को इतना प्रभावित किया कि उसने अर्जुन से दूरी बनाना शुरू कर दी। दोनों के बीच की दोस्ती में दरार आने लगी।
एक दिन गाँव के बुजुर्ग ने रोहन को समझाया, “सफलता पर ईर्ष्या करना जीवन का कीमती समय बर्बाद करना है। अपने दोस्त की खुशियों में खुश होना सीखो, तभी तुम्हारा दिल और दिमाग भी खुश रहेगा।”
रोहन ने यह बात समझी। उसने अर्जुन से माफी मांगी और अपनी गलती स्वीकार की। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती पहले जैसी मजबूत हो गई। रोहन ने सीखा कि ईर्ष्या सिर्फ आपके समय और ऊर्जा को खोखला करती है।
सीख:
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दूसरों की सफलता को देखकर ईर्ष्या न करें।
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समय और ऊर्जा को सकारात्मक कामों में लगाएँ।
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दोस्ती और संबंध को नकारात्मक भावनाओं से प्रभावित न होने दें।
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सच्चे दोस्त आपके जीवन का आशीर्वाद होते हैं, उनकी खुशी में खुश होना सीखें।
ईर्ष्या पर समय बर्बाद करने की बजाय, अपने लक्ष्य पर ध्यान दें और अपने जीवन को खुशहाल बनाएं।